जबलपुर। साहित्य अकादमी, म.प्र.संस्कृति परिषद्, म.प्र.संस्कृति विभाग एवं श्रीजानकीरमण महाविद्यालय जबलपुर के संयुक्त तत्वावधान में “महर्षि जाबालि व्याख्यान माला” का भव्य आयोजन संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ 9 कन्याओं की पूजा-अर्चना से हुआ। स्थानीय संयोजक एवं प्राचार्य, डॉ अभिजात कृष्ण त्रिपाठी के स्वागत भाषण के उपरांत साहित्य अकादमी के यशस्वी निदेशक डॉ विकास दवे ने ऋषि परंपरा और व्याख्यान माला की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए तथाकथित सेक्युलर मठाधीशों और वामपंथियों को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जो देश पुरखों के पुण्य और रचना धर्मिता को स्मरण करने में संकोच करने लगे उसका पराभव तय है। साहित्य क्षेत्र में यह संस्कृति स्वाभिमान लौटाना साहित्य अकादमी के प्रथम कर्तव्य है।
व्याख्यान माला के अध्यक्ष प्रो कपिल देव मिश्र, कुलपति रानी दुर्गावती ने महर्षि जाबालि पर हुए शोध कार्य को रेखांकित करते हुए, पाश्चात्य लेखकों, वामपंथियों और एक दल विशेष के समर्थकों द्वारा स्थापित महर्षि जाबालि के संबंध में मत – मतांतरों और भ्रम जाल को उखाड़ फेंका। शोध कार्य के प्रकाशन की रुपरेखा तय की जिसे साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे ने सहर्ष स्वीकार किया।
व्याख्यान माला के मुख्य अतिथि प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल ने महर्षि जाबालि के साहित्यिक अवदान पर प्रकाश डाला। वहीं मुख्य वक्ता डॉ नर्मदा प्रसाद शर्मा ने महर्षि जाबालि के जीवन – वृत्त पर प्रकाश डाला। व्याख्यान माला के विशिष्ट अतिथि श्रीयुत शरद अग्रवाल जी ने महर्षि जाबालि की कर्मस्थली पर आश्रम और प्रतिमा की स्थापना हेतु कार्य योजना प्रस्तुत की।
महाविद्यालय के अध्यक्ष शासी निकाय श्री शरदचंद पालन जी ने महाविद्यालय परिवार एवं जबलपुर की समस्त साहित्यिक संस्थाओं की ओर से अभिनंदन किया।अतिथियों को शाल, श्रीफल एवं अभिनंदन पत्र भेंट किए गए।
व्याख्यान माला का द्वितीय चरण माँ नर्मदा के किनारे स्थित उमा घाट में हुआ जहां साध्वी शिरोमणि दीदी और वरिष्ठ समाज सेवी श्री भूपेंद्र दुबे जी ने महर्षि जाबालि के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। वहाँ के संयोजक श्री ओंकार दुबे ने आभार व्यक्त किया तथा माँ नर्मदा की महा आरती में अकादमी निदेशक डॉ विकास दवे की सहभागिता के उपरांत व्याख्यान माला का समापन हुआ। व्याख्यान माला के दोनों चरणों में नगर के विद्वत जन, शोधार्थी गण एवं मातृ शक्ति की उपस्थिति रही। आयोजन में कोविड – 19 के परिप्रेक्ष्य में शासन द्वारा जारी सभी दिशा निर्देशों का पालन किया गया।
साहित्य अकादमी की ओर से श्री राकेश सिंह सहित सभी कर्मी वृंदों का सहयोग उल्लेखनीय रहा तथा संपूर्ण महाविद्यालय परिवार का योगदान प्रशंसनीय रहा। संपूर्ण कार्यक्रम का कुशल संचालन इतिहासविद डॉ आनन्द सिंह राणा ने किया।