जनजातीय संग्रहालय में चल रहे गमक समारोह में कथक नृत्यांगना और गुरु रागिनी मख्खर और उनकी शिष्याओं ने कथक नृत्य की प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में छह ऋतु – बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत एवं शिशिर सभी अपनी विशेषताओं के साथ कथक के विभिन्न रूप जैसे तराना, ठुमरी, बंदिश, होरी के रूप में पेश किया| यह प्रस्तुति रीति काल के प्रसिद्ध कवि पद्माकर के पदों पर आधारित, कथक के चित्रण के साथ तीनताल, रूपक, झपताल, कहरवा तालों में निबद्ध थी।
साहित्य अकादमी के नवाचार।बाल साहित्य विमर्श और बच्चों की धमाल। मनमोहक प्रस्तुति।